Normalization क्या है? Normalization in DBMS in Hindi

नम्सस्कर दोस्तों, क्या आप कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट है. तो आपको DBMS (Data Base Management System) तो पढने में  जरुर आता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण Normalization है और इसे विषय में शामिल भी क्यों न किया जाये जबकि यह इतना उपयोगी है।  Normalization in DBMS में  हम इसकी मदद से डाटा की redundancy को कम कर सकते है लगभग न के बराबर। अगरआपको DBMS में Normalization के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है तो इस article में Normalization in Hindi में बताने वाले है. जिसमे normalization के concept और उसके कार्य के बारे में जानेंगे सबसे पहले समझ लेते है कि normalization क्या होता है।
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Normalization की परिभाषा in हिन्दी

Normalization एक ऐसी डिजाइनिंग technique है जिसका उपयोग relational डेटाबेस को design करने में किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य डाटा को फ़िल्टर करना यानिकी सिर्फ शुद्ध डाटा को टेबल में रखना होता है. Normalization two step process होती है जो data से Repeating Groups को हटा कर Tabular में रखती है और उसके बाद रिलेशनल table से एक जैसी यानी कि duplicate entries को remove करती है. जब हम टेबल से डुप्लीकेट एंट्री को हटाते है तो उसके बाद हमे पहले से शुद्ध data प्राप्त होता है.
  • Normalization 2 steps
1st Step -: First step में ये रिलेशनल टेबल में उपलब्ध redundant data को बाहर करता है। Remove करता है, यहाँ Redundant डेटा का मतलब जो data एक से ज्यादा बार store किया गया हो।
2nd Step -: Second step में, Normalization ensure करता है कि table में केवल उससे related डेटा ही store किया गया हो।

    Normalization का सिद्धांत Normal Form के concept पर based है. यानी कि एक relational table अगर constrains के समूह को satisfied करते है तो हम कह सकते है कि रिलेशनल table Normal Form में है। इसका मुख्य उद्देश्य डाटा से डुप्लीकेट एंट्रीज़ को कम करना और डाटा को redundancy को दूर करना होता है. ताकि जब Normalization in Hindi पूरा हो जाये तो टेबल में कोई भी कमी नहीं रहे. और हमे quality based डाटा मिल सके. 

    Concept of Normalization in Hindi

    Normalization का काम एक ऐसी रिलेशनल table का group बनाना होता है जो Redundant डेटा से मुक्त हो यानी कि उसमें अनावश्यक डेटा न हो, इसका मतलब ये है कि table Third नार्मल फॉर्म में हो क्योकि रिलेशनल टेबल का जब 3NF या Third Normal Form तक normalization कर लिया जाता है. तो हम काफी हद तक बेकार डेटाबेस design से जुड़ी problem को खत्म कर देते है। एक रिलेशनल टेबल तब ही 3NF में आती है जब Non Key Columns (x) mutually Independent हो और (y) Primary key पर dependent हो।

    "Mutually Independent से तात्पर्य यह है कि कोई भी non key column किसी दूसरे column के combination पर dependent नही होना चाहिए।"
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    Normalization का कार्य और उपयोग

    कार्य:- Normalization का काम redundancy को घटना होता है और redundancy को कम करने से मतलब एक information को एक ही बार स्टोर करने चाहिए। एक ही Information को एक से ज्यादा बार स्टोर करने से हमारा storage waste हो जाता है। रिलेशनल Normalized से मतलब है कि जब भी डेटाबेस में रिलेशन्स को alter किया जाए, तो इनफार्मेशन गुम नही होना चाहिए।

    उपयोग:- आज के टाइम पर ऐसी परीक्षाये आयोजित की जाती है. जो होती तो एक ही विषय की है लेकिन अलग-अलग दिन परीक्षा देने वाले लोगो के पेपर में number भी भिन्न आते है. अगर एक दिन पेपर का स्तर सरल और दुसरे दिन पेपर का स्तर कठिन था. तो हम यहाँ पर दोनों दिनों के पेपर स्तर को एक जेसा बनाने के लिए Normalization technique का उपयोग करते है.
    Example:- मान लेते है की पहले दिन पेपर का स्तर कठिन था. और अनुमान लगाया गया की कोई पेपर में 100 नंबर भी लता है तो उसे 70 मान लिया जायेगा. ठीक दुसरे दिन इसके विपरीत कोई 70 नंबर भी ला रहा है तो उसे 100 मान लिया जायेगा.  अब इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए टेबल का उपयोग करेंगे.
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    टेबल में आप देख सकते है की अलग-अलग शिफ्ट में students को भिन्न-भिन्न नंबर प्राप्त हुए है. अब हमे इस टेबल में normalization in hindi में करने के लिए पहली वाली shift का माध्य ज्ञात करना होगा जो की 64 है. अब दूसरी वाली shift का माध्य 67 है. दोनों shift में सिर्फ 3 का अंतर है. इसलिए अब हम पहली वाली shift के सभी स्टूडेंट में ३ नंबर जोड़ देंगे जिससे वह दूसरी shift के माध्य के बराबर बन जायेंगे.
    अब हम दूसरी और तीसरी shift का माध्य पता करेंगे. दूसरी shift का माध्य 67 और तीसरी shift का माध्य 61 है. दोनों shift में सिर्फ 6 का अंतर है. इसलिए हम तीसरी shift के सभी स्टूडेंट नंबर में 6 जोड़ देंगे. जिससे तीसरी shift, दूसरी के बराबर बन जाएगी.

    अब आप देख सकते है की shift-2 और shift-3 के नंबर normalized (सामान्यीकृत) हो चुके है. इस तरह हम किसी विशेष shift का माध्य ले सकते है और अन्य shift के students के साथ compare कर सकते है. और फिर कम नंबर लेन वाली shift में माध्य अंतर को जोड़ दिया जाता है. तो दोस्तों इस तरीके से हम भिन्न shift में भिन्न नंबर लेन वाले स्टूडेंट के नंबर को normalized कर सकते है.

    दोस्तो उम्मीद करते है कि आज Normalization क्या होता है और इसका बेसिक concept तो आज clear हो गया होगा आपको अगर हमारा पोस्ट अच्छा लगा तो आप इसे शेयर करे और अगर normalization से जुड़ा कोई सवाल है तो कमेंट में बता सकते है। इसी तरह की और भी पोस्ट पाने के लिए वेबसाइट को Subscribe करे.

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